Tuesday 8 April 2014

कमल का फूल

भ्रष्टाचार नहीं क़ुबूल
अबकी बार कमल का फूल
झूठे वादों की बातें भूल
अबकी बार कमल का फूल ||

सच्चाई का नकाब पहन कर
और जनता को बहला फुसलाकर
दुश्मन झोकेंगे आँखों में धूल
अबकी बार कमल का फूल ||

शिक्षा का हक़ , हक़ रहने खाने का
दस साल नही था होश निभाने का
बातें इनकी है बड़ी फ़िज़ूल
अबकी बार कमल का फूल ||

केंद्र की जल्दी में राज्य गया
ख़ासी सुनकर मत करना दया
मुफरल के भीतर चालाकी का शूल
अबकी बार कमल का फूल ||

मुलायम - माया की बात गलत सब
नितीश का था सारा साथ गलत तब
पर इन सबको करदो जड़ से उन्मूल
अबकी बार कमल का फूल ||

--- कविराज तरुण

2 comments:

  1. Agree..is baar kamal khilega zaroor.
    Iam sharing your poem on twitter.
    check my handle @sushmahari on twitter

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  2. Tnx सुषमा जी ....

    Join me on twitter @kavirajTarun

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