ऊँगली पकड़कर चलना सीखा
विपदाओं से लड़ना सीखा
पापा की राहों पर कदम बढ़ाकर
मैंने शिखर पर चढ़ना सीखा
आदर्श मेरे बस आप ही हो
खुशियों का स्रोत सदा बस आप ही हो
आप की छाया सदा रहे बस
फूल सा मैंने खिलना सीखा
नमन आपको पापा मेरे
भगवान से बढ़कर पापा मेरे
भवबाधा से मैंने उबरना सीखा
जीवन में कुछ करना सीखा
उंगली पकड़कर चलना सीखा
--- कविराज तरुण
सुंदर अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश जी
ReplyDeleteधन्यवाद राकेश जी
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