Thursday 24 October 2019

कमाल है

ख्वाबों का रंग आजकल क्यों लाल लाल है
चहरे पे तेरी ये हँसी तो बेमिसाल है

ये बेवजह दिखावटी या बात और है
अच्छा ! तुम्हे भी इश्क़ है ये तो कमाल है

कविराज तरुण

छोड़ा मुझे साहब

कुछ इसकदर उस सख्स ने तोड़ा मुझे साहब
पूछो नही किस काम का छोड़ा मुझे साहब
कश्ती भँवर के बीच मे उलझी रही मेरी
इस गर्त में क्यों खामखां मोड़ा मुझे साहब

कविराज तरुण

Wednesday 23 October 2019

ऐतबार हो जाये

तुम किसी के घर में रहो रात पार हो जाये
तो ऐसे माहौल मे क्या कुछ सवार हो जाये
और कोई बात नही बस ज़रा सी दोस्ती है
इतना अब आसान कहाँ ऐतबार हो जाये

कविराज तरुण

बहुत पहले बहुत पहले

मुझे ये इश्क़ था शायद बहुत पहले बहुत पहले
मेरे दिल की नही थी हद बहुत पहले बहुत पहले
मगर अब हाल ये अपना पता खुद का नही मिलता
हुई ओझल मेरी सरहद बहुत पहले बहुत पहले

कविराज तरुण