Wednesday 16 September 2020

आ चले हम

बादलों की सीढ़ियों से आसमाँ तक आ चले हम
खोजें रस्ते मंजिलों के मुश्किलों से ना डरे हम
हर वो तिनका है प्रभू का सब तो उनके हाथ मे है
कौन क्या कर पायेगा जब वो हमारे साथ मे है

कविराज तरुण

Friday 11 September 2020

राजभाषा हिंदी

राजभाषा हिन्दी

उठो ! जागो ! निज भाषा को अपना लो 
हिन्दी बुला रही है.. ऐ हिन्दुस्तानी ! लाज बचा लो

मै पुरखों की अतुल्य धरोहर,
और संस्कृत की बेटी हूँ ।
सिंहासन पर पली-बढ़ी मै,
आज चिता पर लेटी हूँ ।।

सहज , सरस और सरल सा,
मेरा ये इतिहास बड़ा ।
आकर काश मुझे कर दे तू,
निज पंजों पर फिरसे खड़ा ।

विस्मित माँ की आँखों से.. आँसू की हर बूँद हटा लो
हिन्दी बुला रही है.. ऐ हिन्दुस्तानी ! लाज बचा लो

एक हजार वर्षों से ज्यादा,
मैंने देश की सेवा की है ।
अवधी ब्रज बुंदेली मगही,
सब तो मेरी ही बोली है ।।

आजादी की लड़ी लड़ाई,
संविधान में शामिल हूँ मै ।
देशप्रेम की अलख जगाई,
जनवाणी हूँ काबिल हूँ मै ।।

फिल्मी दुनिया खुद कहती है.. हिंदी से संगीत सजा लो
हिन्दी बुला रही है.. ऐ हिन्दुस्तानी ! लाज बचा लो

तरुण कुमार सिंह
प्रबंधक 
विपणन विभाग - लखनऊ अंचल
क. सं. 57228