*सुप्रभात दो शेरों के साथ*
*________🌹1🌹________*
*देखते देखते क्या से क्या हो गया*
*तू मेरा हो गया मै तेरा हो गया*
🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷
*नींद सूरज ने खोली सुबह जब मेरी*
*ख़्वाब के दरमियाँ हादसा हो गया*
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*🌼🌼कविराज तरुण🌼🌼*
*सुप्रभात दो शेरों के साथ*
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*देखते देखते क्या से क्या हो गया*
*तू मेरा हो गया मै तेरा हो गया*
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*नींद सूरज ने खोली सुबह जब मेरी*
*ख़्वाब के दरमियाँ हादसा हो गया*
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*🌼🌼कविराज तरुण🌼🌼*
ग़ज़ल
वो मिले और फिर दिल भी मिलने लगा
खामखाँ बारबां उनपे मरने लगा
हाल बेहाल सा चाल मदहोश सी
इक नशा सा मुझे आज चढ़ने लगा
इश्क़ है ख़्वाब है बात है या नही
हाँ इसी सोच मे दिन गुजरने लगा
वो जहाँ वो जिधर पाँव रखते चले
मै गली वो पकड़ के ही चलने लगा
बस तेरी ही ख़बर बस तेरी ही फिकर
मै मुसाफ़िर हुआ और भटकने लगा
काश वो देख लें प्यार से ऐ 'तरुण'
मै सुबह जब उठा तो सँवरने लगा
कविराज तरुण
मै उसे देखकर देखता रह गया
बाण नैनों का फिर फेंकता रह गया
वो भी नजरें झुका मुस्कुराने लगी
और मै ये हँसी सोखता रह गया
पास आकर कहा उसने कुछ कान में
साँस की आँच मै सेंकता रह गया
कुछ जवाबी बनूँ तो कहूँ मै भी कुछ
लफ्ज़ की मापनी तोलता रह गया
वो गई सामने रोकना था 'तरुण'
दिल ही दिल में उसे रोकता रह गया
कविराज तरुण
मैंने खुद को खोया है तो तुझको पाया है
सारी दुनिया तज के मैंने इश्क़ कमाया है
अब तेरे बिन जीना कितना भारी भारी सा
लगता है सीने पर जैसे बोझ उठाया है
टूटा कोना कोना मन का पलभर मे ऐसे
खुशियों को खुद अर्थी देकर श्राद मनाया है
बेबस हैं आंखें नींदों मे ख़्वाब नही आते
चाँद सितारों को अम्बर ने रोज बुलाया है
खो के तुझको जाना कितना इश्क़ 'तरुण' तुमको
धड़कन ने अब दिल से सब अधिकार गँवाया है
कविराज तरुण
कुंडलियां
माखन देखो खा रहे , मेरे नंदकिशोर ।
फूटी है सब गागरी , बैठे माखनचोर ।।
बैठे माखनचोर, मनोहर मुख लिपटाया।
सुंदर शोभित श्याम, सलोनी सुंदर काया ।।
कहे तरुण कविराज,किसी को मत दो चाखन ।
खाओ मन भर आज , श्याम मटकी का माखन ।।
कविराज तरुण