Wednesday 24 July 2013

pyar ki paribhasha



प्यार की परिभाषा 
परिभाषा दे तू अथाह प्यार की 
          तो इस जीवन का सार मिले |
सिमट गयी जो शिव जटा में ...
          उस गंगा को भी धार मिले ||
चाह नहीं मै सब कुछ पा लूं ...
          पर इतना तो अधिकार मिले |
कि जब जब देखूं स्वप्न तेरा ...
          मुझे दिव्य अलौकिक प्यार मिले ||

तू आने वाले कल की सोचे ......... वर्तमान पर तेरा ध्यान नहीं |
ये जीवन किसने देखा है ............. है प्यार मेरा ये विज्ञान नहीं ||
तुम संग चलो बस बाहें डाले ...सब भूलके बंधन , भूल के ताले |
सूरज जब अपना चमकेगा .......... मिट जायेंगे ये बादल काले ||
खुशियों की भी एक दुनिया है ....गम का भी जिसमे हिस्सा है |
धुप छाँव में सिमटा - लिपटा ....... अपना ये सुन्दर किस्सा है ||
आ पास मेरे तू बैठ ज़रा ...................... जो होना है हो जायेगा |
यूं दूर सदा रहकर मुझसे .................... तू मुझे भूल न पायेगा ||

बस यही प्रार्थना प्रभु से मेरी ...
         तुझको आनंद सृजित संसार मिले |
जीवन के कोरे पृष्ठों पर ...
        अंकित अदभुत प्रेम पुष्प श्रृंगार मिले ||
परिभाषा दे तू अथाह प्यार की
        तो इस जीवन का सार मिले |
सिमट गयी जो शिव जटा में ...
         उस गंगा को भी धार मिले ||

--- कविराज तरुण

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