Sunday 13 March 2022

गजल - संवर जाए मेरी

तुमको पा लें तो ये उम्र गुजर जाए मेरी
दिन संभल जाए ये रात संवर जाए मेरी

अपने होंठों पे तराजू लिए फिरता हूं
बात निकले तो तेरे दिल में उतर जाए मेरी

वो जो रौशन है जिसे लोग चांद कहते हैं
तेरे होते हुए क्यों उस पे नजर जाए मेरी

इसी फिराक में राहों पे तेरी बैठा हूं
तू जो देखे तो तबियत सुधर जाए मेरी

और ये इंस्टा एफबी के होने का तभी मतलब है
के जब प्रोफाइल तेरी फोटो से भर जाए मेरी

कविराज तरुण

Friday 4 March 2022

आत्मचिंतन

घोर तिमिर जो छाया है तुम उसका तो संहार करो
आग नही बन सकते हो तो दीपक सा व्यवहार करो

अभी समय है कर्मयुद्ध का अभी समय है तपने का
अभी समय है पूर्ण करो तुम हर इक हिस्सा सपने का
मिले कष्ट जो तुम्हे राह में तुम उनको स्वीकार करो
आग नही बन सकते हो तो दीपक सा व्यवहार करो

किसे पता है कल क्या होगा वर्तमान है साथ अभी
तुझे कोशिशों से भरना है अपना खाली हाथ अभी
समय की रेखा पर चलकर तुम सारी बाधा पार करो
आग नही बन सकते हो तो दीपक सा व्यवहार करो

घोर अंधेरा तो आयेगा डरने की है बात नही
सूर्य उदय तो होगा फिर से रही हमेशा रात नही
अपने मन की किरणों से तुम थोड़ा सा उजियार करो
आग नही बन सकते हो तो दीपक सा व्यवहार करो

जीत सदा ही मिले सत्य को झूठ सदा ही हारा है
निर्भय जीवन जीने का बस मात्र यही इक चारा है
इसी सत्य को जीवन का तुम अब अपने आधार करो
आग नही बन सकते हो तो दीपक सा व्यवहार करो