Friday 13 July 2018

सीजन नही होता

प्यार का कोई कभी सीज़न नही होता
दिल लगाने का सही रीज़न नही होता
हाल-ए-दिल अपना सुनाना आप ही पड़ता
आज के इस दौर मे पीजन नही होता

कविराज तरुण

Tuesday 10 July 2018

ग़ज़ल 99 प्यार पाना चाहता हूँ

बहुत दिनों बाद कुछ लिख पाया

उम्र के हर मोड़ पर मै प्यार पाना चाहता हूँ
तेरी साँसों में कहीं अधिकार पाना चाहता हूँ

बंद लफ्ज़ो से तराना इश्क़ का छिड़ता नही है
दिल की खिड़की खोलकर विस्तार पाना चाहता हूँ

फूल की रंगत है तुमसे चाँद की ये चांदिनी है
माँग में सजकर तेरे श्रृंगार पाना चाहता हूँ

हाय उल्फ़त की कहानी किस्मतों की मेड़ पर है
संग तेरे लाज़िमी घरबार पाना चाहता हूँ

काम कर इतना अभी बस देख ले मेरी तरफ तू
तेरी आँखों में छुपा संसार पाना चाहता हूँ

कविराज तरुण

Thursday 5 July 2018

एक मतला एक शेर - जिंदगी के सलीखे

एक मतला एक शेर

जिंदगी के सलीखे यूँ कम हो गये

तुम तो तुम ही रहे हम भी हम हो गये

मोड़ कर पाँव अपने गली से तेरी

वक़्त के साथ किस्से ख़तम हो गये

सुप्रभात

कविराज तरुण