प्यार का कोई कभी सीज़न नही होता
दिल लगाने का सही रीज़न नही होता
हाल-ए-दिल अपना सुनाना आप ही पड़ता
आज के इस दौर मे पीजन नही होता
कविराज तरुण
प्यार का कोई कभी सीज़न नही होता
दिल लगाने का सही रीज़न नही होता
हाल-ए-दिल अपना सुनाना आप ही पड़ता
आज के इस दौर मे पीजन नही होता
कविराज तरुण
बहुत दिनों बाद कुछ लिख पाया
उम्र के हर मोड़ पर मै प्यार पाना चाहता हूँ
तेरी साँसों में कहीं अधिकार पाना चाहता हूँ
बंद लफ्ज़ो से तराना इश्क़ का छिड़ता नही है
दिल की खिड़की खोलकर विस्तार पाना चाहता हूँ
फूल की रंगत है तुमसे चाँद की ये चांदिनी है
माँग में सजकर तेरे श्रृंगार पाना चाहता हूँ
हाय उल्फ़त की कहानी किस्मतों की मेड़ पर है
संग तेरे लाज़िमी घरबार पाना चाहता हूँ
काम कर इतना अभी बस देख ले मेरी तरफ तू
तेरी आँखों में छुपा संसार पाना चाहता हूँ
कविराज तरुण
एक मतला एक शेर
जिंदगी के सलीखे यूँ कम हो गये
तुम तो तुम ही रहे हम भी हम हो गये
मोड़ कर पाँव अपने गली से तेरी
वक़्त के साथ किस्से ख़तम हो गये
सुप्रभात
कविराज तरुण