मेरी है या तेरी है या किसकी है
हर हिस्से की थोड़ी थोड़ी गलती है
आँखों में सैलाब छुपाकर क्या होगा
रो लेने दो दिल की जबतक मर्जी है
हर कोई तेरे जैसा हो बात गलत
सबकी अपनी रागें अपनी ढपली है
जो जैसा हो उसको वैसा ही मानो
दुनिया अपने ढर्रे पर ही चलती है
उम्मीदों का भार 'तरुण' जब ज्यादा हो
कुछ हटकर करने की जिद तब अच्छी है