Monday, 21 November 2016

अच्छे दिन आयेंगे

सब्र करो
और थोड़ा करो
इंतज़ार
फल मीठा मिलेगा
कड़वे दर्द
मिट जायेंगे
अच्छे दिन फिर आयेंगे

जैसे अमावस के बाद
होता है सुप्रभात
जैसे बादलो के बाद
होती है बरसात

जैसे पतझड़ के बाद
आता है सावन
जैसे सोमवार के उपवास से
मिलता है साजन

ठीक वैसे ही
बुरे दिन
कट कट के
कट जायेंगे
अच्छे दिन फिर आयेंगे ।

*कविराज तरुण*

Thursday, 17 November 2016

अपना cash

बंद iPhone बंद है nexus
कभी short कभी excess
अपना cash
कैसे करेंगे हम ऐश ।

न oaac न ही laps
बस tm और noteex
Tally होता नहीं क्यों cash
कैसे करेंगे हम ऐश ।

कभी दस कभी ग्यारह
लटका day end बेचारा
नोटों का bundle है missmatch
कैसे करेंगे हम ऐश ।

*कविराज तरुण*

Wednesday, 16 November 2016

सोनम गुप्ता

Atm की लाइन में क्या लगाया
सोनम गुप्ता बेवफा हो गई ।
आधी रात को हज़ार का नोट देकर
मेरी 100 की गड्डी ले गई ।
सोनम गुप्ता बेवफा हो गई ।।

भूल गई वो सारी कसमे
भूली वो पिज़्ज़ा बर्गर
मुझको भी भूली अब तो
दिल से हुआ मै बेघर

मालूम नहीं काला धन
पर काला दिल नजर तो आया
जिन नोटों की दीवानी थी वो
वो सब तो बस थी माया

पॉकेट का जबसे हाल बताया
सोनम गुप्ता बेवफा हो गई ।
आधी रात को हज़ार का नोट देकर
मेरी 100 की गड्डी ले गई ।
सोनम गुप्ता बेवफा हो गई ।।

कविराज तरुण
https://m.facebook.com/KavirajTarun/

उर में विराजो महाराज

उर में विराजो महाराज
तुमसे शुरू है हर काज
उर में विराजो महाराज

सूना लगे है दिन आज
सुने से ही पड़े सब साज
उर में विराजो महाराज

जीवन क्या है न जाना मैंने
खुद को भी न पहचाना मैंने
चलता रहा जाने किस धुन पे
तेरी बातो को न माना मैंने

तुमसे छुपा कब ये राज
मेरे छिन ही चुके हैं सब ताज
उर में विराजो महाराज

*सुप्रभात*
*कविराज तरुण*

Tuesday, 15 November 2016

तांडव

आज के सामयिक हालातो पर लिखी एक रचना

जब शिव जी करते हैं तांडव
तब चीख सुनाई देती है ।
असुरों की सत्ता हिल जाती
रंगत झल्लाई रहती है ।।

कलयुग के काले कौवों का
काले धन का अंबार लगा ।
नष्ट हुआ सब भ्रान्तिमान
जब हंसो का दरबार लगा ।।

जब हो जाती अति अमावस की
सूरज तब और चमकते हैं ।
जो इतराते थे नोटों की गड्डी पर
अब ठिठक ठिठक कर चलते हैं ।।

अब फिर से मोती चुन चुनकर
हंसो के हिस्से आयेगा ।
भारत से कलयुग दूर हटेगा
सतयुग अब फिरसे छायेगा ।।

कविराज तरुण

Friday, 4 November 2016

शुक्रिया जवान

*शुक्रिया जवान*

इन करों के बंद मुख से शुक्रिया तुझको अदा है ।
माँ भारती तू धन्य है जो वीर ऐसा तुमने जना है ।

बर्फ की चादर मे लिपटा सो गया तूफ़ान मे ।
आँख निगरानी में थी कुछ बात थी उस जान मे ।

कर्मबेदी पर चढ़ा के जान की वो बोलियाँ ।
दिवाली तीज होली पर भी खाई गोलियाँ ।

फिर भी टस से मस हुआ न वीर फौलादी जवां ।
कर-नमन आँख-नम उस माँ को जिसने पुत्र जना।

राजनेता बात करते शहीदों का कितना मोल है ।
जो कोख सूनी हो गई उसका भी क्या कोई तोल है ।

दूर रखो है निवेदन शहादत को सियासत की दौड़ से ।
और ये सुन लो बात मीडियाकर्मियों भी गौर से ।

सैनिक जीवन ज़रा भी प्रश्नों का है विषय नहीं ।
बस नमन और नमन और नमन ही विकल्प सही ।

*कविराज तरुण*