Thursday, 9 January 2025
पूछ
अपने दिल अपने यार अपने आवाम से पूछ
तू मुझे पूछ बेशक़ किसी काम से पूछ
फलाना घर फलानी जगह ये सब क्या है
घर खोजना अगर हो तो मेरे नाम से पूछ
कविराज तरुण
कलियाँ भी खिलतीं थीं
पहले फूल भी आते थे और कलियाँ भी खिलतीं थीं
मेरे घर के लिए तब तो सभी गलियाँ भी मुड़ती थीं
मै अपनी बाँह फैलाकर फकत आराम करता था
समंदर की तरह आकर कई नदियाँ भी मिलती थीं
कविराज तरुण
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