कुम्भ गया है, साथ में लेकर, कितनी सारी बातें
पैतालिस दिन, माँ गंगा के, तीरे बीती रातें
छाछठ कोटि की जनता ने, स्नान किया है पावन
ऊंच नीच के बंधन टूटे, हर्षित मन का आँगन
दिखे अखाड़े तेरह, उनका वैभव दिव्य अलौकिक
चार हजार हेक्टेयर का, वर्णन मुश्किल है मौखिक
नेता फ़िल्म सितारे सब ने, देखा दृश्य विहंगम
उद्योगपति के अंतर्मन को, भाया अद्भुत संगम
महाकुम्भ में देखी सबने, तकनीकी सौगातें
चैटबॉट और एप के जरिए, डिजिटल कुम्भ की बातें
महाकुम्भ में श्रद्धालु पर, फूलों को बरसाना
मेलभाव से पुलिसबलों का, हम सबको समझाना
सब लोगों का महाकुम्भ ने, किया यहाँ उद्धार
जाने कितनों के जीवन को, मिली यहाँ रफ्तार
धन्य हुए वो, जिन लोगों ने, किया यहाँ स्नान
धन्य हैं वो भी, जिनके मन में, महाकुम्भ का ध्यान
सदा ऋणी हम योगी के, उत्तम था संचालन