Monday 18 February 2013

हम मिलकर सारी बात करेंगे


 अन्तः की बेड़ी में जकड़े ज़ज्बात , बयाँ क्या हालात करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 जो घाव ह्रदय के अन्दर हैं , न तुम्हे दिखाई देंगे |
 ये बोलेंगे तुमसे सबकुछ , पर न तुम्हे सुनाई देंगे |
 यथा मौन की प्रथा में रहकर ...
 हम इन् आँखों से संवाद करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 यूं तो बाहर से मै खुश हूँ , रंगरेज दिखाई देता हूँ |
 पर अन्दर से व्याकुल मै , मन ही मन सब सहता हूँ |
 जब करी कोशिशे बतलाने की ...
 रुक गया ना ये आघात करेंगे  |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 कुछ सपने जो थे अपने , अब दूर गगन के वासी हैं |
 कुछ तुम बदलो कुछ हम बदले , सुखमय जीवन के अभिलाषी हैं |
 पर अहंकार के रक्षक बनकर ...
 हम यूंही सब बर्बाद करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||

 मै कहता हूँ तू ही दोषी है , तुम कहती हो मेरी गलती है |
 आरोप लगाने की ये प्रवृति , तथाकहित चलती रहती है |
 सब भूल के फिर से चलना हो तो ...
 हम प्रेम सरित अभ्यास करेंगे |
 किसी और दिन आना तुम , हम मिलकर सारी बात करेंगे ||



   --- कविराज तरुण 


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