Saturday 18 June 2016

मनहरण घनाक्षरी शासन

मनहरण घनाक्षरी 🙏 शासन

चाल यहाँ शासन की , नीतियां प्रशासन की ।
ओजवाले भाषण की , ताल ठोकने लगे ।।
खाली पड़े राशन की , भूखे पेट आसन की ।
ख़ुशी वाले भोजन की , राह खोजने लगे ।।
टीन गिरे आँगन की , पानी भरे नालन की ।
मेघ देख सावन की , छत जोड़ने लगे ।।
आस मन भावन की , दुख के पलायन की ।
सुख क्षण आवन की , बाँट जोहने लगे ।।

✍🏻कविराज तरुण

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