Friday 18 June 2021

ग़ज़ल - तुम हो

मेरी जिंदगी की ग़ज़ल खास तुम हो
मेरी हर दुआ मेरी अरदास तुम हो

मै जब भी गुजरता हूँ तेरी गली से
मेरी धड़कनों की अहसास तुम हो

नही है किसी की मुझे अब जरूरत
ये दुनिया मेरी है अगर पास तुम हो

बनाया है तुमने बिगाड़ा है तुमने
मेरी इस कहानी का इतिहास तुम हो

समंदर तुम्ही हो ये दरिया तुम्ही हो
मेरी इन निगाहों की हर प्यास तुम हो

कविराज तरुण

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