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जीवन है उपहार ये , रखो अपना ध्यान
धरती पर अवतार को , तरसे हैं भगवान
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जिसकी जैसी भावना , उसका वैसा रूप
कोई लागे छांव सा , कोई लागे धूप
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जितनी होंगी मुश्किलें , उतना होगा काम
बाधाओं से जीतकर , आते हैं परिणाम
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बाहर किसको दूंढता , अंदर हैं जब प्रान
दूजे को क्या देखना , अपने को पहचान
-//५//-
छोटी छोटी बात को , मत देना तुम तूल
अच्छी बातें छोड़कर , जाओ सबकुछ भूल
-//६//-
काम का ही मान है , काम का ही मोल
बाकी सब बकवास है , चाहे जितना बोल
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बेमतलब की बात पर, करो नही अलगाव
छोटी सी इक चोट भी, बन जाती है घाव
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राखो अपने आप को, सोने सा तुम साफ
जो बुरा तुमको कहे, कर दो उसको माफ
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अपना मन यों साफ हो, नही किसी से बैर
ना कोई है आपका, ना ही कोई गैर
-//१०//-
मन की अपने कीजिए , कैसा है संकोच
अपनी हर इक चोट है , अपनी है हर मोच
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