Tuesday 24 March 2020

कबतलक ?

कबतलक ??

कबतलक उस शख्स को बदनाम करोगे
कबतलक तुम बेरुखी के काम करोगे

कबतलक विद्रोह के ये स्वर उठाकर झोंक दोगे तुम शहर को आग मे
कबतलक पत्थर चलाकर देश का आँचल रंगोंगे दाग मे
और कितनी बदनुमा ये शाम करोगे
कबतलक उस शख्स को बदनाम करोगे

तुम खुदा की बात करते हो मगर इंसानियत क्या चीज है तुमको पता क्या
मजहबी बातें बताकर बलगलाकर सत्य को ही दूर करने का तरीका
चल रहा है जल रहा देश मेरा
पर मुझे विश्वास है होगा सबेरा
और तेरा झूठ सबके सामने आ जायेगा
ये तमाशा अनशनों का अनसुना रह जायेगा
कबतलक ये शोर खुलेआम करोगे
कबतलक उस शख्स को बदनाम करोगे

तुम देश को खंडित करने के मंसूबे रोज बनाना छोड़ो
भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह गाना छोड़ो
जेएनयू में देश विरोधी नारे यूँ लगवाना छोड़ो
एएमयू में जिन्ना की फोटो पर फूल चढ़ाना छोड़ो
अफजल की बरसी होने पर रोना और चिल्लाना छोड़ो
हमे चाहिए आज़ादी ये फर्जी माँग उठाना छोड़ो

कबतलक शाहीन में संग्राम करोगे
कबतलक ये जुर्म सरे-आम करोगे
कबतलक तुम बेरुखी के काम करोगे
कबतलक उस शख़्स को बदनाम करोगे


कविराज तरुण

No comments:

Post a Comment