Thursday 5 March 2020

ग़ज़ल - कमल

विषय - कमल

कमल के फूल सा सुंदर तुम्हारा आज हो कल हो
कभी दिल चोट न खाये कभी कोई नही छल हो

दुआ बस एक है माँगी खुदा से बंदिगी करके
जहाँ मुश्किल मिले तुमको उसी के सामने हल हो

जो देखें ख़्वाब हैं तुमने सितारों की पनाहों में
निगाहों को हक़ीक़त में मुबारक वो सभी पल हो

ज़रा सी बात पर तुम हौसला क्यों तोड़ते अपना
जरूरी तो नही हरबार मीठा सब्र का फल हो

तेरा लड़ना जरूरी है फलक की आखिरी हद तक
'तरुण' डरने से क्या होगा भले कितने भी बादल हो

कविराज तरुण

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