Monday 30 March 2020

ग़ज़ल - हारा नही है

सफलता का कोई इशारा नही है
अभी वक़्त आया हमारा नही है

कहो ख़्वाहिशों से ज़रा दूर हो लें
भटकते दिलों का सहारा नही है

हुई गर्दिशों में हवा आज ऐसी
कहीं कोई बचने का चारा नही है

मुहाफ़िज़ रकीबों के हों हमनवां जब
तो इन कश्तियों को किनारा नही है

उसे तुम हराने का क्यों सोचते हो
जो अपनों की हरकत से हारा नही है

कविराज तरुण

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