Tuesday 25 August 2020

उम्मीदों का तारा देखा

गीत - उम्मीदों का तारा देखा

काली तम की रेखाओं में
मैंने फिर उजियारा देखा
उम्मीदों का तारा देखा

मेघ गगन पर आच्छादित था
और निशा छाई थी मन मे
प्रेम हृदय में संचित करने
भटक रहा था मै उपवन में

तभी दूर पर्वत पर मैंने
जलता हुआ सितारा देखा
उम्मीदों का तारा देखा

झूठ बराबर छलक रहा था
गगरी से उन मक्कारों की
छोटे मन के लोग मिले बस
नगरी से उन हत्यारों की

सच का दीप लिए हाथों में
मैंने हाथ तुम्हारा देखा
उम्मीदों का तारा देखा

आँच नही आ सकती सच पर
उम्र झूठ की क्षणभंगुर है
घोर तमस की परिपाटी पर
बीज सत्य का ही अंकुर है

इसी सत्य के लिए सदा ही
झूठ को मैंने हारा देखा
उम्मीदों का तारा देखा

अंधे एक थपेड़े से ही
दूर हुई थी नाँव हमारी
शून्य हुआ था जलथल जीवन
छाई आँखों में अँधियारी

तभी जोहते बाँट हमारी
मैंने पास किनारा देखा
उम्मीदों का तारा देखा

काली तम की रेखाओं में
मैंने फिर उजियारा देखा
उम्मीदों का तारा देखा
उम्मीदों का तारा देखा

कविराज तरुण

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