अक्सर तुमसे मन की बातें कहना मुश्किल हो जाता है
रेत में जैसे पानी का ही बहना मुश्किल हो जाता है
चुप रहकर सहते सहते एक उम्र हमारी बीत गई
बाधायें इतनी आईं कि निर-आशा भी जीत गई
ऐसे विषमकाल मे कुछ भी सहना मुश्किल हो जाता है
अक्सर तुमसे मन की बातें कहना मुश्किल हो जाता है
हमने जेठ दुपहरी में भी घंटों तेरी राह तकी है
सर्दी मे भी ठिठुर-ठिठुरकर छत पर जाकर बातें की हैं
अब जाने क्यों साथ मे तेरे रहना मुश्किल हो जाता है
अक्सर तुमसे मन की बातें कहना मुश्किल हो जाता है
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