मेरा सपना अधूरा सकल हो गया
तू सफल हो गयी मै विफल हो गया
तुमको दिल दे दिया ये है गलती मेरी
अपने दिल से ही मै बेदखल हो गया
मैंने देखा जिसे वो हुआ खंडहर
तूने देखा जिसे वो महल हो गया
तुम हुई न कभी मेरी मायावती
मै तुम्हारे लिए ही अटल हो गया
सुर्ख कांटो से जख़्मी मेरा हाथ है
तू चमकता हुआ सा कमल हो गया
कविराज तरुण
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