Friday 5 March 2021

अटल हो गया

मेरा सपना अधूरा सकल हो गया
तू सफल हो गयी मै विफल हो गया

तुमको दिल दे दिया ये है गलती मेरी
अपने दिल से ही मै बेदखल हो गया

मैंने देखा जिसे वो हुआ खंडहर
तूने देखा जिसे वो महल हो गया

तुम हुई न कभी मेरी मायावती
मै तुम्हारे लिए ही अटल हो गया

सुर्ख कांटो से जख़्मी मेरा हाथ है
तू चमकता हुआ सा कमल हो गया

कविराज तरुण

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