Sunday, 28 March 2021

शायरी अपडेट

बिना भरे ही छलक रहीं हैं मै और मेरे तमाम बातें
है स्याह जैसी घनी अँधेरी मै और मेरी तमाम रातें
न कोई अपना मिला हमें तो किया सभी ने सदा किनारा
तुम्हे मुबारक हों सारे रिश्ते तुम्हे मुबारक तमाम नाते

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है इश्क़ फिर तो मलाल कैसा
जुबाँ पे फिर ये सवाल कैसा
तुम्हे पता है तुम्हे खबर है
मेरे शहर का है हाल कैसा

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सितारों की चमक लेके जमीं पर आसरा लूँगा
मै पानी की तरह बहकर समंदर पार पा लूँगा
मुझे तेरे रिवाज़ो से नही कोई भी मतलब है
कि जिसदिन ठान लूँगा मै तुम्हे अपना बना लूँगा

मुहब्बत है नई फिरभी कशिश इसमें पुरानी है
बड़ी ही बंदिशों वाली तेरी मेरी कहानी है
जमाने के बदलने से बदलता है नही सबकुछ
हमें छुपकर भी रहना है निगाहें भी मिलानी है

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मेरी बेबाक नजरें जो कहती रहीं जान कर तू उन्हें जान पाया नही
आके रह जाओ दिल में मेरे उम्रभर यहाँ लगता ज़रा भी किराया नही

वो जो बातें हुईं थीं मेरे साथ में तुम उन्हें भूलने की न कोशिश करो
यार सबकुछ मिलेगा तुम्हें प्यार से बस जरूरी खुदा से कि ख़्वाहिश करो

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मेरी बेबाक नजरें जो कहती रहीं जान कर तू उन्हें जान पाया नही
आके रह जाओ दिल में मेरे उम्रभर यहाँ लगता ज़रा भी किराया नही

वो जो बातें हुईं थीं मेरे साथ में तुम उन्हें भूलने की न कोशिश करो
यार सबकुछ मिलेगा तुम्हें प्यार से बस जरूरी खुदा से कि ख़्वाहिश करो

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