Wednesday, 25 September 2024

जो सदा धरातल पर रहता

जो सदा धरातल पर रहता उसका होता सम्मान सखे 
सकल सृष्टि के जीव जंतु करते उसका गुणगान सखे 

जो धर्म पर अपने चलता, अत्याचार नहीं स्वीकारेगा
कर्म क्षेत्र में कुछ भी हो, प्रतिकार नहीं स्वीकारेगा 
मानवता के बीच कभी, व्यापार नहीं स्वीकारेगा
हां! जब तक जीत नहीं जाता, वो हार नहीं स्वीकारेगा

इन्हीं तत्व से मिला जुला वो बनता है इंसान सखे 
जो सदा धरातल पर रहता उसका होता सम्मान सखे

द्वेषभावना लेकर मन में, चिंता का अम्बार लगेगा 
इतना दिल पर बोझ पड़ेगा, के जीना दुश्वार लगेगा
सरल नही तू बन पाया तो, कठिन जीत का द्वार लगेगा
मिथ्या बातें मिथ्या जीवन मिथ्या ये संसार लगेगा

लेष मात्र भी अपने अंदर रखना मत अभिमान सखे 
जो सदा धरातल पर रहता उसका होता सम्मान सखे

धारण कर लो अपने अंदर, रघुकुल की रघुराई को
रामचरित की मन में अंकित कर लो हर चौपाई को 
ऐसे देखो किसी और को, जैसे अपने भाई को
मर्यादा के नाम करो तुम, जीवन की तरुणाई को 

तब जाकर तुम कर पाओगे इस जीवन का उत्थान सखे 
जो सदा धरातल पर रहता उसका होता सम्मान सखे

Tuesday, 24 September 2024

संशय मुक्तक

संशय की घोर अवस्था में राही कैसा विश्राम 
तबतक चल तू जबतक आ जाये ना पूर्ण विराम
नियति नही नियम से आता है उत्तम परिणाम
बस नेक भाव से पूरित कर तू अपना सारा काम

Sunday, 22 September 2024

लिखो कुछ

अनगिनत अहसासों की असंख्य अठखेलियाँ
भ्रमित चेहरे को प्रश्नों का हल देती हैं |
जिह्वा से अनजाने में निकली कोई बात 
इतिहास के पन्नो को सहसा बदल देती है ||
उन्मुक्त विचारो की बहती हवा ही अक्सर
संकुचित दायरों को वृस्तित महल देती है |
रुको नहीं... कुछ सोचो ... कुछ लिखो या कहो कुछ
बात निकलती है तो नई उम्मीद को पहल देती है ||

Sunday, 8 September 2024

लहजा बदल के देख

सब काम होगा तेरा लहजा बदल के देख 
इकबार अपने घर से बाहर निकल के देख

है झुनझुना मोहब्बत ये जानते हैं फिर भी
कुछ देर के लिए ही इससे बहल के देख

किस ख़ाक में जवानी हमने गुजार दी है
ये देखना अगर हो दुनिया टहल के देख

ये क्या कि छोटे छोटे सपनों की सैर करना 
गर देखना है सपना रंगो-महल के देख

कुछ बात बोल दी है कुछ बात है अधूरी
जो माइने छुपे हैं मेरी ग़ज़ल के देख