यमराज क्यों लेट है ?
भगवान् इस समय मै बिस्तर पर पड़ा हूँ |
हर तरफ मै डाक्टरों से घिरा हूँ |
इंतज़ार मे हूँ मेरी बोली कब लगेगी |
और ये बॉडी मेरी अर्थी पर कब चड़ेगी |
पर पूछता हूँ भगवन यमराज क्यों लेट है |
क्या सुनामी मे उसको मिल गयी बहुत भेंट है |
और अब कसकर भर गया तेरा पेट है |
फिर बताओ भी तुम क्यों बंद तेरा गेट है |
सुई पर सुई ये नर्सें चुभा रही है |
उधर स्वर्ग की यादें लुभा रही है |
देखना है इन्द्र का दरबार कैसा है |
क्या वहाँ पर भी राज़ करे पैसा है |
और उनकी हुकूमत वहाँ कैसी चल रही है |
क्या वहाँ पर भी सीता यूँही जल रही है |
और देखना है मुझको तेरा क्या हिसाब है |
क्या तू भी तकिये के नीचे छुपाता किताब है |
तू भी सचिन का क्या हुआ दीवाना है |
या ब्रिटनी का सपनो मे आना जाना है |
क्या तुझे डियो
ड्रीन्ट
की लगती जरुरत है |
या ऐश्वर्या सी वहाँ कोई खूबसूरत है |
हाँ नेपोलियन को तुने बताया किधर है |
मुशर्रफ का आने वाला कब नंबर है |
और शिव का क्या अब भी गिरीशिला पर वास है |
या एयरकंडीशनर घर उनके पास है |
और उनकी नंदी क्या उतनी ही मोटी है |
या गणपति के चूहे की पूछ हुई छोटी है |
और ब्रह्मा कमल पर युही विराजमान हैं |
या
वहाँ पर भी
कोई स्लीप्वेल का सामान है |
सवाल हैं अनेक पर इंतजार अब एक है |
बता यमराज तुने क्यों की लेट है |
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कविराज तरुण
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