गाँधी जी की पुण्यतिथि (३०- जनवरी ) पर उनको समर्पित एक रचना ---
देशवीर गाँधी
देश अमृत भूमि के वे चाल हँसक नीर थे |
चले आंग्ल - बाण जो थे सामने अतिक्षीर्ण थे ||
अंश आतुर अबतलक है वो जो ऐसे वीर थे |
कंस के तो कान्ह थे रावने रघुबीर थे ||
श्रद्ध इस समाज के वे आज के कबीर थे |
लहर सौदामिनी की ज्योति अतिशीर थे ||
महकती फुलवारी थे वे दहकती जंजीर थे |
आत्मा तो धीर थी पर मन से वे गंभीर थे ||
दुबली पतली काया थी पर रस भरे शरीर थे |
हम गांधी उनको क्या कहें , वो आंधी थे बलवीर थे ||
--- कविराज तरुण
kya likhte ho be ........ wah wah
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