तू मेरा सुन्दर सपना
तेरे मधुर लबो का मधुरस पा लूं ...
केश - सृजन की छाया |
जबसे देखा तेरे चक्षु - किरण को ...
तू इस मन - मंदिर में समाया ||
यौवन का तू अतुलित साधन ...
चाल की न कोई उपमा |
पुष्प सरीखी काया है ...
तू है मेरा सुन्दर सपना ||
--- कविराज तरुण
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