Friday 23 April 2021

लेकिन फरक किसको पड़े

जिंदगी लाचार है लेकिन फरक किसको पड़े
हर कोई बीमार है लेकिन फरक किसको पड़े

वो चुनावी जंग के फिर सूरमा बनने चले
वाह क्या सरकार है लेकिन फरक किसको पड़े

कुंभ में जमकर नहाने चल दिये हैं इकतरफ
इकतरफ इफ़्तार है लेकिन फरक किसको पड़े

ब्लैक मे ही बिक रही है ये हवा औ ये दवा
चोर थानेदार है लेकिन फरक किसको पड़े

जान का जोखिम लिए वो काम पर तो जा रहा
घुस गया व्यापार है लेकिन फरक किसको पड़े

हरतरफ बस मौत का ही खेल चालू हो गया
खूब हाहाकार है लेकिन फरक किसको पड़े

कविराज तरुण


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