Tuesday, 27 April 2021

ग़ज़ल - सवाल खो गया

जवाब दूंढते रहे सवाल खो गया
ये देखिये शहर का कैसा हाल हो गया

किसान इकतरफ लड़ाई लड़ रहे वहाँ
जहाँ कफन सँभालता वो लाल सो गया

लताड़ रोज लग रही है कोर्ट से मगर
चुनाव फिर भी हो रहा कमाल हो गया

वो आये और 'मन की बात' कह के चल दिये
ये पैंतरा तो फिर से इक मिसाल हो गया

दिखा सके जो सच 'तरुण' वो आइना कहाँ
ये मीडिया ही आजकल दलाल हो गया

कविराज तरुण

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