माना थोड़ा वक्त लगेगा पर संकट का हल होगा
आज नही है तेरा तो क्या आने वाला कल होगा
रात में जुगनू चांद सितारे माना कि इतराते हैं
भोर उदय जब होता सूरज ये सारे छुप जाते हैं
पर्वत को सन्नाटे में ही बरबस रहना पड़ता है
आंधी धूप थपेड़ों को भी डटकर सहना पड़ता है
तू जितना सह जायेगा तू उतना और प्रबल होगा
आज नही है तेरा तो क्या आने वाला कल होगा
चींटी इक इक दाना लेकर मीलों लंबा चलती है
हर कठिनाई से लड़कर वो जीवनयापन करती है
पतझड़ में पेड़ों की डाली बिन पाती रह जाती है
पर मौसम आने पर वो ही फूलों से भर जाती है
सही समय आने पर तेरा हर इक काम सफल होगा
आज नही है तेरा तो क्या आने वाला कल होगा
कर्म सिवा कुछ हाथ नही तब चिंता का मोल भला क्या
सत्य नही धारण जिसमे उस व्यक्ति का बोल भला क्या
तुझे पता है तेरी ताकत मात्र यही आवश्यक है
जीवनपथ पर दौड़ अनवरत सोच यही तू धावक है
जैसी तेरी करन होगी वैसा आगे फल होगा
आज नही है तेरा तो क्या आने वाला कल होगा
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