प्यार की अंगड़ाईयों में अनकहे हालात मैंने
एक दिन बीता नही लगने लगा के साल बीते
बिन तुम्हारे किस कदर काटे यहाँ दिन रात मैंने
झूमकर नाचा था मै भी दिलजलो की भीड़ में तब
जब तुम्हारे घर पे देखी और की बारात मैंने
तुमने तो बस कह दिया के भूल जाओ तुम मुझे अब
और फिर घंटों करी थी आँख से बरसात मैंने
ख़त्म होती है कहानी प्यार के जिस मोड़ पर ये
उस जगह से की हमारे प्यार की शुरुआत मैंने
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