Wednesday 22 May 2024

बैठ जाते हैं

जहाँ से तुम गुजरते हो वहीँ पर बैठ जाते हैं 
अगर दाना मिले छत पर कबूतर बैठ जाते हैं

तुम्हारे घर के बाहर पत्थरों का ढेर कहता है 
मै इकलौता नहीं ऐसा अधिकतर बैठ जाते हैं

अजब सी बात लहरों ने बताई है मुझे तेरी 
किनारे तुम जो आती हो समंदर बैठ जाते हैं

मै बिल्कुल साफ शब्दों में उन्हें दिल की बताता हूँ
मगर वो फ़ालतू बातें बनाकर बैठ जाते हैं

मुझे तो तैरकर ही ये सफर अब पार करना है 
मै काठी हूँ सुना पानी में पत्थर बैठ जाते हैं 

कविराज तरुण

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