Wednesday 28 August 2024

कहाँ से आयेंगे

कौन कितने कब कहाँ से आयेंगे 
अपने नजदीकी मक़ाँ से आयेंगे 

वो तो दुश्मन हैं फ़रिश्ते थोड़ी हैं 
जोकि उड़ के आसमां से आयेंगे 

अहतियातन खुद को मजबूत रखना
तीर नश्तर के जबाँ से आयेंगे 

वक़्त बदला ना तरीका बदला है 
पीठ में खंजर छुपा के आयेंगे

दोस्त समझा तो बुराई क्या इसमें 
फैसले अब इम्तिहाँ से आयेंगे 

दिल लुटाने से नही फुर्सत जिनको 
अपना सबकुछ गवाँ के आयेंगे

कविराज तरुण 

No comments:

Post a Comment