Saturday, 10 August 2024

जीवन क्या है?

कविता - जीवन क्या है?

जीवन क्या है? हार-जीत की, मिली-जुली सी एक कहानी 
गगरी ऐसी! जिसमें सुख-दुख, दोनों आकर भरते पानी 

कभी अचंभित करने वाली, घटनाओं का आना-जाना 
कभी बिना रस फीका-फीका, इच्छाओं का ताना-बाना

कभी सफलता खुद आकर, चलने वाले का पाँव पखारे 
कभी विफलता 'धैर्य धरो तुम' कहकर तेरा नाम पुकारे

यही सफलता और विफलता हमें बनाये ध्यानी-ज्ञानी
जीवन क्या है? हार-जीत की, मिली-जुली सी एक कहानी 

बाल्य अवस्था में जीवन का रहता हरदम प्रश्न अधूरा 
बढ़ते-बढ़ते करते हम सब, इन प्रश्नों का आशय पूरा 

वृद्ध हुए तो लगता ऐसे, जैसे जीवन बहकावा है 
मिथ्या सारा जीव जगत है, झूठी सारी माया है 

बातों की अनबूझ पहेली, लेकर आये नई जवानी
इसी बीच अनबूझ पहेली, लेकर आये नई जवानी

कभी-कभी तो चकाचौंध में, लगा रहे लोगों का मेला 
कभी-कभी सब लोग अपरिचित, मन भीतर से रहे अकेला 

कभी -कभी उत्थान-पतन का कारण, अपनों की चतुराई 
कभी -कभी अपनों से ज्यादा, हमको प्यारी प्रीत पराई

इसी प्रीत की बातों में मन, खोजें कोई बात पुरानी
जीवन क्या है? हार-जीत की, मिली-जुली सी एक कहानी 
गगरी ऐसी! जिसमें सुख-दुख, दोनों आकर भरते पानी 

कविराज तरुण

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