माँ
मैंने पुछा उस खुदा से
तू कैसे रखता है ध्यान हम सभी का
कैसे सुनता है हमारी बातें
कैसे पूरी करता है सब अरदासें
कैसे झांक लेता है हमारे मन के अन्दर
कैसे थाम लेता है आंसुओं के समंदर
कैसे करता है खुशियों का हम सब में बंटवारा
कैसे संभालता है ये संसार सारा
कैसे जोड़ता है तार तू इतनी दूर रहकर
कि मै इस ज़मीन पर और तू आसमां है
वो बोला मै तुझसे दूर ही कहाँ हूँ
तेरे लिए ही तो जमीं पर मैंने भेजी माँ है ||
--- कविराज तरुण
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