Friday 21 June 2013

"तरुण " - अवस्था


"तरुण " - अवस्था

"तरुण " - अवस्था में अक्सर ,हर चीज़ तूफानी लगती है |
शोहरत दौलत के विषम जाल में,पथभ्रष्ट जवानी लगती है |
पापा जो कहते हैं लेक्चर है , माँ को दुनिया की समझ नहीं |
दोस्त हमारे अव्वल हैं सब , माँ बाप को इनकी कदर नहीं |
पर अक्सर ये सोच हमारी , कितनी बेमानी लगती है |
"तरुण " - अवस्था में अक्सर, हर चीज़ तूफानी लगती है ||
न जिम्मेदारी की गगरी सर पर ...
न हाथ क़िस्त की बोरी है |
केवल एक पापी पेट है अपना ...
और एक आफत की छोरी है |
फिर भी लगता है हमको कि, हम दुनियादारी में सिद्धहस्त हैं |
पर वास्विकता यही है हमसब बस, चेटिंग - सेटिंग में व्यस्त हैं |
और भ्रम की इन्तेहा  देखो , हर लड़की अपनी दीवानी लगती है |
"तरुण " - अवस्था में अक्सर हर चीज़ तूफानी लगती है |

--- कविराज तरुण


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