Wednesday 31 October 2018

मारने के बाद

मरने के बाद वो मेरा हाल पूछते हैं
कहूँ क्या उनसे जो गुजरा साल पूछते हैं
मेरे मरने के बाद ...

मौत से आखिरी हाजिरजवाबी तक
हमने जिनकी राह मे पलकें बिछाई थी
वो मेरी चिता के सामने कह रही हैं
आज तेरे प्यार को मै समझ पाई थी
आज ले ली हमने रुखसत तो उन्हें इकरार हुआ
जब हम ही न रहे उन्हें हमसे प्यार हुआ

फिर बड़ी मासूमियत मे वो खुदा से सवाल पूछते हैं
मरने के बाद वो मेरा हाल पूछते हैं
मेरे मरने के बाद ...

मेरी नज़रों को तेरी तलाश रहती थी
इन साँसों को तेरी खुशबू की आस रहती थी
पर तू तो मेरे खत को भी बकवास कहती थी
मेरी चाहतों को सिर्फ एक प्यास कहती थी

और आज प्यासे जब खड़े वो मेरे सामने तो चाहतों भरा वो ताल पूछते हैं
मरने के बाद वो मेरा हाल पूछते हैं
मेरे मरने के बाद ...

जिनके इनकार ने मुझे बेहद रुसवा किया
मेरे इस दिल को मुझसे ही तनहा किया
गम का ऐसा ज़हर मुझे दे दिया
जिसको पीकर मै एक पल न जिंदा रहा

अब वो कैसे हुआ मेरा इन्तेकाल पूछते हैं
मरने के बाद वो मेरा हाल पूछते हैं
मेरे मरने के बाद ...

वरमाला तो तू मुझको दे न सकी
दो फूल चिता पर दे देना
अगणित आंसू का क़र्ज़ चढ़ाया है
तुम एक अश्रु से धो देना

अब कैसे थमेगी ये आंसुओं की बाढ़ पूछते हैं
मरने के बाद वो मेरा हाल पूछते हैं
मेरे मरने के बाद ...

अब वो कहते हैं तेरे बिन न जिंदा रहेंगे
इस विरह की अगन मे कबतक जलेंगे
बहुत हो चुका जुदाई का आलम
इस मिलन के लिए आज हम भी मरेंगे

इसतरह वो जीवन मरण का जंजाल पूछते हैं
मरने के बाद वो मेरा हाल पूछते हैं
मेरे मरने के बाद ...

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