जिंदगी ये प्यार से गुजार लीजिये
चाँद की कभी नजर उतार लीजिये
कौन कब कहाँ मिलेगा किसको क्या पता
एक बार जोर से पुकार लीजिये
साहिलों को है पता बहाव तेज है
कश्तियों की खामियाँ सुधार लीजिये
जो मिला है आपका है या खुदा का है
हो सके तो ये तनिक विचार लीजिये
वक़्त कब रुका कहीं किसी के वास्ते
जो समय मिला 'तरुण' निखार लीजिये
कविराज तरुण
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