Monday 18 January 2021

गीत - आधा भाव

तेरी मीठी बातें सुनकर , वैरागी को प्यार हुआ
आधा भाव समर्पण का है , आधे पर अधिकार हुआ

किसी डोर से बाँध रहा वो , मेरे चाँद सितारों को 
किसी छोर से साध रहा वो , मन के  इन अँधियारों को 
उसकी आँखों के सूरज में , दिन का ये विस्तार हुआ
आधा भाव समर्पण का है , आधे पर अधिकार हुआ

तुमसे मिलकर विरह तान भी , मधुर गीत बन जाती है
तुमसे मिलकर नागफनी भी , मंद मंद मुस्काती है
ऐसे में तुमको पाकर मै , खुशियों का आगार हुआ
आधा भाव समर्पण का है , आधे पर अधिकार हुआ

नेह लिए तुम आई जबसे , मेरे मन के आँगन में
झूल रहा मन पेंग मार के , जोर जोर से सावन में
नई किरण का नये पहर में , नया नया संचार हुआ
आधा भाव समर्पण का है , आधे पर अधिकार हुआ

गंगाजल सा हृदय तुम्हारा , और फूल सी काया है
रूप गढ़ा ये कूट कूट के , प्रभु की कैसी माया है
सतरंगी सपनों का जैसे , चिर यौवन श्रृंगार हुआ
आधा भाव समर्पण का है , आधे पर अधिकार हुआ

कविराज तरुण

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