Friday, 14 May 2021

शायरी - खंडहर

विरासत में रख लेना ईमारत मेरी
एक उम्र लगी है इसे बनाने में
हर एक ईंट लहू से जोड़ी है
तब ये दीवार खड़ी ज़माने में

कविराज तरुण

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