Tuesday, 30 April 2013
देखो चला आया
भंवर के पार कश्ती खोजने देखो चला आया |
सितारों में मै अपनी हस्ती खोजने देखो चला आया |
अहम् के पास था जितना स्वयं से दूर था उतना |
भ्रमित चेहरों से वंचित कोई बस्ती खोजने देखो चला आया ||
--- कविराज तरुण
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