विषय - मीत
विधा - ग़ज़ल
#मीतग़ज़ल #साहित्यसंगमसंस्थान
2122 2122 2122
देखकर तुमको बजे संगीत यारा
तुम बने हो मन मुताबिक मीत यारा
शाम की अंगड़ाइयों से पूछ लेना
हर अदा में आ गई है प्रीत यारा
हारकर दिल खुश हुआ है आज इतना
जैसे हासिल हो गई हो जीत यारा
प्यार का अहसास कितना दिलनशीं है
चल पड़ी शहनाइयों की रीत यारा
लफ्ज़ उसके नाम रुकने लगे हैं
और धड़कन गा रही है गीत यारा
कविराज तरुण
साहित्य संगम संस्थान
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