Sunday 21 June 2020

ग़ज़ल - दूर नहीं

2122 1212 22/112

काफिया - ऊर 
रदीफ़ - नहीं

शाम इतनी भी दूर दूर नहीं
गम की बातें गमों से चूर नहीं

बस ज़रा दिल मेरा है बेगाना
इसमे तेरा कोई कसूर नहीं

इश्क़ हमको समझ न आया तो
हमने माना हमें शऊर नहीं

बोल दूँ हाल दिल का आज तुझे
इतनी हिम्मत अभी हुजूर नहीं

ये तो किस्मत का खेल सारा है
अपनी किस्मत मे कोई नूर नहीं

कविराज तरुण
#साहित्यसंगमसंस्थान

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