Wednesday 10 June 2020

ग़ज़ल - दिन बहार के

212 1212 1212 1212

क्यों खफा खफा हुए ये दिन बहार के तरुण
देखता नही हमे गुलाब प्यार से तरुण

फूल फूल खिल रहे हैं आस-पास मे तेरे
एक हम ही रह गए हैं दरकिनार से तरुण

बेवफा ने कह दिया है जाने ऐसा क्या मुझे
आँख से निकल पड़ा है आबशार ये तरुण

फिरसे आज रात हमसे चाँदनी खफा हुई
चाँद को नजर लगी है जार-जार से तरुण

मुश्किलों से ही सफर मे हमसफर मिला करे
मिल गया तो थाम लो नजर उतार के तरुण


कविराज तरुण

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