#विषय - सावन
जाने कब ये सावन आया , जाने कब बरसात हुई
सुंदर सपनों की कोशिश में , मेरी बीती रात हुई
जो भी मैंने सोचा था वो , नही अभी तक पूर्ण हुआ
मेरे सपनों का शीशा ये , रगड़-रगड़ कर चूर्ण हुआ
मन को बहलाने वाली भी , नही अभी तक बात हुई
जाने कब ये सावन आया , जाने कब बरसात हुई
प्रेमपथिक की मुश्किल इतनी , कलयुग के इस बंधन में
प्रेमसुधा का आशय सीमित , नश्वर वाले इस तन में
मन के भीतर के भावों को , नही कोई भी जाने अब
केवल झूठी दुनिया को ही , हर कोई पहचाने अब
पृष्ठों पर पीड़ा अंकन की , देखो अब शुरुआत हुई
जाने कब ये सावन आया , जाने कब बरसात हुई
कविराज तरुण
#साहित्यसंगमसंस्थान
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