Friday 17 July 2020

ग़ज़ल - मिला कीजिये

#साहित्यसंगमसंस्थान

जब भी मौका मिले तो मिला कीजिये
दर्द-ए-दिल की यही इक दवा कीजिये

प्यार में और कुछ तो जरूरी नही
पर जरूरी है इसमें वफ़ा कीजिये

दिलनशीं फूल सा तेरा ये रूप है
मेरी आँखों मे आके रहा कीजिये

चाँद का हो रहा चाँदनी से मिलन
आप भी हो सके तो मिला कीजिये

इश्क़ में जो हुआ वो तो बढ़िया हुआ
इस 'तरुण' के लिए सब दुआ कीजिये

कविराज तरुण

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