#साहित्यसंगमसंस्थान
#ग़ज़ल - प्यार
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प्यार से मिले कोई तो प्यार कीजिये उसे
एकबार प्यार से पुकार लीजिये उसे
जाने कैसी उलझनों मे जी रहा है वो अभी
गौर से कभी कभी निहार लीजिये उसे
तेरा क्या है मेरा क्या है कौन लेके जायेगा
अपने हक की चीज भी उधार दीजिये उसे
बार बार कोसने से होगा तेरा क्या भला
नेकभाव से कभी विचार लीजिये उसे
प्यार से बड़ी कोई भी मापनी बनी नही
आप प्यार मे 'तरुण' उतार लीजिये उसे
कविराज तरुण
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