#ग़ज़ल
#साहित्यसंगमसंस्थान
212 212 212 212
हर बुरी चीज से फासला कीजिये
मशविरा सिर्फ ये मत बुरा कीजिये
चाहिए उस खुदा की जो रहमत तुम्हे
उसके बंदों का खुलकर भला कीजिये
वक़्त के साथ चलने से होगा ही क्या
वक़्त के बाद का हौसला कीजिये
कोशिशों के बिना कुछ भी मिलता नही
कुछ अलग कीजिये कुछ नया कीजिये
एकदिन तो सभी को है जाना 'तरुण'
राह का आप ही फैसला कीजिये
कविराज तरुण
#साहित्यसंगमसंस्थान
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