देखकर नजरें उतारूं या नजर भर देख लूं
सोचता हूं आंख में तेरी उतरकर देख लूं
आसमां के चांद को है देखने का क्या सबब
इससे बेहतर चांद अपना मै जमीं पर देख लूं
एक मुद्दत बाद तुम आए हो मेरे सामने
अब जरूरी है तेरी खातिर कहीं घर देख लूं
दिल बहलता ही नही अब बारिशों में भींगकर
हुस्न तेरी मौज के भीतर समंदर देख लूं
इश्क तेरी राह में कितने मुसाफिर खो गए
इकदफा इस रहगुजर से मै गुजर कर देख लूं
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