दिल का क्या है इक दफा तो आजमाने के लिए है
रूह तो शामिल नही है जिस्म की ही बात है अब
शादियों का नाम तो रस्में निभाने के लिए है
मै ठहर कर देखता हूं और आगे चल पड़ूं मै
उसकी गलियां रासतो का शक मिटाने के लिए है
उम्र आधी गफलतों में और आधी उम्र मेरी
इश्क कर देगा निकम्मा ये बताने के लिए है
देख लेगा वो हकीकत हो सके तो साफ कह दो
इस जहां को छोड़कर दुनिया दिखाने के लिए है
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